पुलिस अंकल
वरुण अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। अब इस लॉक डाउन में खेले तो किसके साथ खेेेले?
जब भी वह बोर होता अपने घर की बालकनी में आकर खड़ा हो जाता था। वहां से उसको इधर उधर के नजारे दिखते थे। उसका मन बहल जाता था। सड़कों पर पहले जैसी चहल-पहल तो नहीं थी पर कोई ना कोई तो नजर आ ही जाता था। खासकर पुलिस वाले। वह उनको देखकर डर जाता था।
1 दिन वरुण ने देखा उनके मोहल्ले में एक गाड़ी आई है। उस गाड़ी के पास लोग लाइन बनाकर खड़े हो गए। गाड़ी में एक आदमी था। वह सब को बारी-बारी एक पैकेट दे रहा था। शायद उसमें खाने पीने का सामान था। उस पैकेट के मिलते ही सब खुश होकर झटपट अपने घर की ओर लौट रहे थे।
तभी वहां एक पुलिसकर्मी आ गया और सब को डांटने लगा। क्योंकि समान के चक्कर में पास पास खड़े हो गए थे। वह उन्हें अपने डंडे की नोक से दूर हटाने लगा। वरुण का तरीका अच्छा नहीं लगा। तभी उसकी नजर एक घर के दरवाजे पर पड़ी जहां एक बूढ़ी औरत थी। छोटा सा घर और फटेहाल हालत। उसने सोचा,'पुलिस अंकल अब उन्हें भी डातेंगे और अंदर जाने के लिए कहेंगे।'
वरुण और भी डर गया। पुलिस अंकल ने बूढ़ी आंटी के पास पहुंचकर उनसे कुछ पूछा। फिर सामान वाली गाड़ी में से दो पैकेट लाकर बूढ़ी आंटी को थमा दिए। उन्होंने अपने हाथ उठाकर पुलिस अंकल को आशीर्वाद दिया। 'अरे यह पुलिस अंकल तो अच्छे हैं। लगता है वह समझ गए कि बूढ़ी आंटी को सामान की जरूरत है।' इस घटना के साथ वरुण के हृदय में बसी पुलिसकर्मियों की कठोर छवि हट गई। वह बोला,'अब मैं पुलिस अंकल से कभी नहीं डरूंगा। वह तो हमारी सहायता के लिए होते हैं।।।।'
(Copied)
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