आ रही रवि की सवारी

आ रही रवि की सवारी
                                 :-हरिवंश राय बच्चन

        आ रही रवि की सवारी।

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशा़क धारी।
आ रही रवि की सवारी।

         विहग, बंदी और चारण,
         गा रहे हैं कीर्ति गायन,
         छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फौज सारी।
         आ रही रवि की सवारी।

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देख कर यह-
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी।
आ रही रवि की सवारी।।

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